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विकासशील देशों की भूमिका ओ. पी. शर्मा |
आर्थिक विकास की दौड़ में हमारा पारिथितिकी संतुलन बिगड़ चुका है| विश्व में आज खाधान्न संकट, ऊर्जा की कमी, आर्थिक मंदी आदि समस्याएं मुहं बाएं खड़ी हैं| इन सबका संबंध कमोबेश जलवायु परिवर्तन से भी है| प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के कारण कई प्रकृतिजन्य संकट सामने खड़े हैं|
पृथ्वी का तापमान बढ़ने से कई दीप विलुप्त हो चुके हैं एवं गंगा नदी प्रदूषित हो गई है| ओजोन परत में छेद हो जाने के कारण इसकी सूर्य की पराबैंगनी किरणों को रोकने की क्षमता घट रही है| कुल मिलाकर प्रकृति के निर्मम संहार के चलते उत्पन्न जलवायु परिवर्तन आज विश्व के समक्ष ज्वलंत और मुखर चुनौती बन गई है|
जलवायु परिवर्तन पर चिंतन करने और इससे निपटने के लिए विश्व के देश 7-18 दिसंबर, 2009 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में इकट्ठा हुए| इस सम्मेलन में 192 देशों के लगभग 15,000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया| जलवायु परिवर्तन पर यह अब तक का सबसे बड़ा सम्मेलन था| इसके लिए डेनमार्क के राष्ट्रपति लार्स लोक्को रासमुसेन ने सभी देशों को आगे आने का आहान किया था| इस सम्मेलन के महत्वपूर्ण विषयों में क्योटो प्रोटोकाँल में निर्धारित किए गए कार्बन उत्सर्जन कटौती के लक्ष्यों का नवीकरण तथा वर्ष 2010 के बाद की रूपरेखा बनाना शामिल किया गया था| |
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जम्मू-कश्मीर विविधताओं और बहुलताओं का घर है| फुर्सत के पल गुजारने के अनेक तरकीबें यहाँ हर आयु वर्ग के लोगों के लिए बेशुमार है| इसलिए अगर आप ऐडवेंचर टूरिस्म या स्पोर्ट अथवा रोमांचकारी पर्यटन में रूचि रखते हैं तो जम्मू-कश्मीर के हर इलाके में आपके लिए कुछ न कुछ है.
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