अंक: October 2014
 
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भारत निर्माता के प्रति
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अग्र लेख

परिवहन क्षेत्रः आर्थिक पक्ष

जगन्नाथ कश्यप 


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Articles
  अधिकतम शासनः ई-शासन के माध्यम से जनपहुंच
रंजीत मेहता
  भारत में ई-गवर्नेंस की शुरुआत रक्षा सेवाओं, आर्थिक नियोजन, राष्ट्रीय जनगणना, चुनाव, कर संग्रह, आदि के लिए कम्प्यूटरीकरण पर जोर के साथ 1960 के दशक के अंत में
  किसानों का कल्याणः वर्तमान परिदृश्य
जे पी मिश्र
  कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का विशालतम क्षेत्र है। इस क्षेत्र ने वर्ष 2014-15 में समग्र सकल मूल्य वर्धन में
  योगः आधुनिक जीवनशैली व अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता
ईश्वर वी बासवरेड्डी
  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इलाज में चिकित्सा के प्राचीन प्रणालियों को शामिल करने की जरूरत पर जोर दिया है। डब्ल्यूएचओ ने सु
  योग साधकों का मूल्यांकन एवं प्रमाणन
रवि पी सिंह&bsp; मनीष पांडे
  योग संस्थानों के प्रमाणन की योजना उन मूलभूत नियमों में सामंजस्य बिठाने की दिशा में उठाया कदम है,
  योगः स्वस्थ व तनावमुक्त जीवन का संतुलन
ईश्वर एन आचार&bsp; राजीव रस्तोगी
  आज की व्यस्त जीवनशैली में अपने स्वास्थ्य का ख्याल रख पाना एक जटिल कार्य हो गया है लेकिन
विकासशील देशों की भूमिका
ओ. पी. शर्मा

आर्थिक विकास की दौड़ में हमारा पारिथितिकी संतुलन बिगड़ चुका है| विश्व में आज खाधान्न संकट, ऊर्जा की कमी, आर्थिक मंदी आदि समस्याएं मुहं बाएं खड़ी हैं| इन सबका संबंध कमोबेश जलवायु परिवर्तन से भी है| प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के कारण कई प्रकृतिजन्य संकट सामने खड़े हैं|

पृथ्वी का तापमान बढ़ने से कई दीप विलुप्त हो चुके हैं एवं गंगा नदी प्रदूषित हो गई है| ओजोन परत में छेद हो जाने के कारण इसकी सूर्य की पराबैंगनी किरणों को रोकने की क्षमता घट रही है| कुल मिलाकर प्रकृति के निर्मम संहार के चलते उत्पन्न जलवायु परिवर्तन आज विश्व के समक्ष ज्वलंत और मुखर चुनौती बन गई है|

जलवायु परिवर्तन पर चिंतन करने और इससे निपटने के लिए विश्व के देश 7-18 दिसंबर, 2009 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में इकट्ठा हुए| इस सम्मेलन में 192 देशों के लगभग 15,000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया| जलवायु परिवर्तन पर यह अब तक का सबसे बड़ा सम्मेलन था| इसके लिए डेनमार्क के राष्ट्रपति लार्स लोक्को रासमुसेन ने सभी देशों को आगे आने का आहान किया था| इस सम्मेलन के महत्वपूर्ण विषयों में क्योटो प्रोटोकाँल में निर्धारित किए गए कार्बन उत्सर्जन कटौती के लक्ष्यों का नवीकरण तथा वर्ष 2010 के बाद की रूपरेखा बनाना शामिल किया गया था|

 
 
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