भारत में ई-गवर्नेंस की शुरुआत रक्षा सेवाओं, आर्थिक नियोजन, राष्ट्रीय जनगणना, चुनाव, कर संग्रह, आदि के लिए कम्प्यूटरीकरण पर जोर के साथ 1960 के दशक के अंत में और 1970 के दशक के आरंभ में हुई। 1990 के दशक की शुरुआत में यह साकार होती दिखी लेकिन इसकी व्यापकता हाल के वर्षों में, खासकर, डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत के बाद बढ़ी है और एक-एक नागरिक तक इसे पहुंचाने का प्रयास सफल होता दिख रहा है.
ई-गवर्नेंस, सरकार के भीतर, सरकार और राष्ट्रीय, राज्य, नगर निगम और स्थानीय स्तर की सरकारी एजेंसियों, नागरिक व व्यवसायों के बीच, दक्षता, प्रभावशीलता, पारदर्शिता और सूचना और व्यवहार की जवाबदेही के आदान-प्रदान में बदलाव के लिए, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग है। इसका उद्देश्य नागरिकों को सूचना तक पहुंच और उसके उपयोग के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाना भी है।
ई-सरकार का उद्भव वेब जगत की सबसे मुख्य घटनाओं में से एक रहा है। चूंकि इंटरनेट ने डिजिटल समुदायों को विकसित होने और यह सोचने में कि वे वास्तव में देश और विश्वयुद्ध के आसपास के व्यक्तियों से जुड़ने में समर्थ हो रहे हैं, सहायता की है, इसने राष्ट्रीय सरकारों के लिए कई चुनौतियां और अवसर प्रस्तुत किए हैं। लोकतांत्रिक राज्यों में सरकारें मुख्य रूप से एक प्रतिनिधि तंत्र होती हैं जिसके तहत चयनित कुछ बहसें होती हैं और राष्ट्र राज्य के नागरिकों की ओर से उनके लिए विधान अधिनियमित किए जाते हैं। इसके विभिन्न पहलू हैं, जो ई-गवर्नेंस के संदर्भ में महत्व रखते हैं।
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